Waste Management in Hindi कचरा प्रबंधन की 4 विधि ,अपशिष्ट क्या है?

Waste Management In Hindiहम अपने दैनिक जीवन मे कई अनुपयोगी पदार्थ अपने आसपास पाते है जो कि कचरा कहलाता है।यह कचरा लंबे समय तक खुले में रहने पर प्रदूषण करता है इसिलए इसका प्रबंधन करना आवश्यक है। इसीलिए आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि “कचरा प्रबंधन क्या है? What Is Waste Management in Hindi” व अपशिष्ट क्या है? अपशिष्ट का वर्गीकरण व स्त्रोत क्या है? के बारे में भी करेंगे।

Waste Management In Hindi
Waste Management In Hindi

कचरा या अपशिष्ट की परिभाषा

किसी भी प्रक्रम के अंत में शेष बचे या बने अनुपयोगी पदार्थ जो फेकने योग्य होते हैं, कचरा (Waste) है।

जैसे – कागज ,प्लास्टिक ,रबर,उधोगों से निस्तारित अपशिष्ट, चिकित्सकीय प्रक्रमों से निकला अपशिष्ट ,सजीवों का मल मूत्र etc

कचरे से न केवल पर्यावरण प्रदूषण होता है बल्कि भूमि प्रदूषण भी होता है।

अपशिष्ट का वर्गीकरण 

अपशिष्ट को दो भागों में बांटा गया है।

  1. जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट
  2. अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट

जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट

इन अपशिष्टों में जैविक कारकों के द्वारा अपघटन हो जाता है,जैव निम्निकरणीय अपशिष्ट कहलाते है।

जैसे- सब्जी और फलों के छिलके, रक्त, मांस के टुकड़े, कागज, रुई etc।

अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट

यह जैविक कारकों से अपघटित नहीं होते हैं तथा पर्यावरण में लंबे समय तक बने रहते हैं।जैसे प्लास्टिक, कांच,लोह या धातु, सिरिंज इत्यादि।

अपशिष्ट के स्त्रोत Sources Of Waste

कचरा विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न होता है।

जैसे घरेलू स्रोत, नगर पालिका स्रोत, उद्योग एवं खनन क्षेत्र, कृषि क्षेत्र, चिकित्सा क्षेत्र। 

यह प्रमुख क्षेत्र है, जहां से कचरा उत्पन्न होता है।

घरेलू स्रोत

प्रतिदिन सफाई में घरों से निकली धूल मिट्टी के अलावा कागज, गत्ते, धातु के टुकड़े, पौधों की पत्तियां इत्यादि कचरा निकलता है।

साथ में फलों एवं सब्जियों के छिलके,सड़े गले पदार्थ,शेष बचा हुआ भोजन etc भी अपशिष्ट के रूप में निकलता है।

नगरपालिका स्रोत 

नगरपालिका स्रोत से तात्पर्य है कि नगर पालिका क्षेत्र से निकला हुआ कूड़ा करकट एवं गंदगी। 

इसमें घरेलू अपशिष्ट के अलावा घरों से प्रवाहित मल-मूत्र,विभिन्न संस्थानों से निकला अपशिष्ट।

मृत जानवर, सड़कों से निकली गंदगी, भवन निर्माण से उत्पन्न अपशिष्ट इत्यादि सभी नगर पालिका अपशिष्ट है। 

कस्बे की संपूर्ण गंदगी इसी में शामिल है जिसकी मात्रा जनसंख्या पर निर्भर करती है।

एक अनुमान के अनुसार भारत के 45 बड़े शहरों से प्रतिदिन लगभग 50,000 टन अपशिष्ट उत्पन्न होता है।

1 टन = 10 क्विंटल  = 1000 किलोग्राम।

उद्योग एवं खनन कार्य के अपशिष्ट 

उद्योगों में बहुत उद्योगों से बहुत बड़ी मात्रा में अपशिष्ट निकलता है।

उद्योगों एवं खनन कार्य से निकला अपशिष्ट पदार्थ जैसे धातु के टुकड़े, रासायनिक पदार्थ, ज्वलनशील हानिकारक पदार्थ, तेलीय-वसीय पदार्थ, अम्लीय पदार्थ, क्षारीय पदार्थ, विषैले पदार्थ एवं जैव अपघटनीय पदार्थ,राख इत्यादि।

उद्योगों से रसायन युक्त गंदा जल भी अपशिष्ट के रूप में निकलता है।

कृषि क्षेत्र के अपशिष्ट 

कृषि के उपरांत बचा भूसा,फल-फूल, पत्तियां, डंठल, लकड़ियां आदि कृषि से प्राप्त अपशिष्ट है।

इस अपशिष्ट को फैला दिया जाता है या एक ही स्थान पर एकत्रित किया जाता है।

बरसात के पानी से यह कचरा सड़ने लगता है एवं जैविक क्रियाएं होने से प्रदूषण होता है अथवा इस कचरे को जलाने पर भी प्रदूषण होता है। 

चिकित्सा क्षेत्र के अपशिष्ट (Medical Waste)

चिकित्सा क्षेत्र से विभिन्न प्रकार के अपशिष्ट प्राप्त होते हैं जिनसे वातावरण प्रदूषण अधिक होता है।

चिकित्सा क्षेत्र से निकले अपशिष्ट जैसे ग्लूकोस की बोतल, सिरिंज दवाइयों की बोतलें, चिकित्सकीय उपकरण, एक्सपायर दवाइयां,रुई, प्लास्टर, रक्त, मांस के टुकड़े, दवाइयों के रैपर अथवा कवर इत्यादि।

अपशिष्टों के दुष्प्रभाव 

कचरा सदैव ही प्रदूषण फैलाता है। 

  1. कूड़े के ढेर में इधर-उधर फैला जैव चिकित्सकीय कचरा घातक होता है।इससे हिपेटाइटिस-बी, टिटनेस, हैजा, संक्रमित होने वाली बीमारियां, संक्रमित सुई के छूने से एड्स का खतरा बना रहता है।
    • जैव चिकित्सकीय अपशिष्ट को जलाने पर विषैली दवा एवं गैस उत्सर्जित होती है जिससे श्वसन से संबंधित समस्याएं हो सकती है तथा पर्यावरण प्रदूषित होता है।
  2. पॉलिथीन अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट है जो लंबे समय तक वातावरण में रहकर पर्यावरण प्रदूषण करता है।यदि कोई जानवर पॉलिथीन निकलने तो यह उसकी आंतों में फंस जाती है जिससे जानवर की मृत्यु तक हो जाती है।
  3. प्लास्टिक एक अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट है यदि यह जल के लगातार संपर्क में रहता है तो जल को प्रदूषित कर देता है तथा इस प्रदूषण से विभिन्न प्रकार के रोग होने की संभावना है।
  4. प्लास्टिक के अधिक संपर्क में रहने पर रक्त में थेलेट्स की मात्रा बढ़ जाती है जिससे गर्भवती महिलाओं में भ्रूण का विकास रुक जाता है तथा प्रजनन अंगों को श्रति होती है।
  5. अजैव निम्नीकरणीय कचरा मृदा की उर्वरा शक्ति को कम करते हैं।
  6. अजैव निम्नीकरणीय कचरे के कारण भूगर्भीय जल स्रोत प्रदूषित हो रहे हैं।
  7. प्लास्टिक उत्पादों में बिरफेनॉल रसायन पाया जाता है जो शरीर में शुगर तथा लीवर के एंजाइमों को असंतुलित कर देता है। 
  8. प्लास्टिक अपशिष्ट को जलाने पर कार्बनडाइऑक्साइड (CO2), कार्बन मोनोऑक्साइड(CO) गैस जैसी विषैली गैस उत्पन्न होती है जिनके कारण श्वसन संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती है तथा यह गैसें आंखों, त्वचा इत्यादि अंगों पर भी जलन उत्पन्न करती है।

कचरा प्रबंधन (Waste Management In Hindi)

कचरा प्रबंधन की मुख्य चार विधियां है।

  1. भूमि भराव (Land Filling)
  2. भस्मीकरण (Incineration)
  3. पुनर्चक्रण (ReCycling)
  4. रासायनिक विधि (Chemical Method)

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भूमि भराव विधि (Land Filling)

इस विधि में बंजर या अनुपजाऊ भूमि पर गड्ढे बनाकर कचरे को दबा दिया जाता है।

सामान्यता यह विधि बिना उपयोग की खानों, खदान रिक्तियों वाले क्षेत्र में प्रयुक्त करते हैं।

कचरा प्रबंधन का यह तरीका कम खर्चीला होता है।

इसमे पुराने तथा गलत तरीके से भूमि बनाव करने से पर्यावरणीय समस्याएं उत्पन्न होती है।जैसे – हवा में कचरे का उड़ना, कीटों को आकर्षित करना, तैलीय पदार्थों का रिसाव, मेथेन गैस के निर्माण के कारण बदबू आना इत्यादि।

अतः भूमि भराव आधुनिक तरीके से किया जाता है तथा गड्ढों को मिट्टी से भरते हैं।

भूमि भराव गैस निकासी के लिए, भूमि भराव गैस निष्कासन प्रणाली स्थापित की जाती है।

इस गैस के संयंत्र स्थापित करके विद्युत ऊर्जा का निर्माण करते हैं।

भस्मीकरण विधि (Incineration)

भस्मीकरण विधि में कचरा निष्पादन, कचरे को जलाकर करते हैं।इससे कचरा ताप, गैस, राख, धुँआ इत्यादि में बदल जाता है।

कचरे का दहन होने पर विषैली तथा हानिकारक गैसें उत्सर्जित होती है, अतः यह विश्व स्तर पर विवादास्पद पद्धति है।

अतः भस्मीकरण की प्रक्रिया आबादी से दूर क्षेत्रो में की जाती है।

इस विधि के लिए कम स्थान की आवश्यकता होती है अतः यह छोटे देशों जैसे जापान आदि मे अति प्रचलित है।

पुनर्चक्रण Recycling

पुनर्चक्रण विधि के द्वारा सामान्यतः प्लास्टिक अपशिष्ट, धातु अपशिष्ट का निपटान संभव है। जैसे-पौधों के अपशिष्ट लकड़ियां, पत्तियां इत्यादि, शेष बचा भोजन, फलों एवं सब्जियों के छिलके इत्यादि का पुनर्चक्रण करके वर्मी कंपोस्ट प्राप्त कर सकते हैं।

रासायनिक विधि Chemical Method

  1. कूड़ा करकट को अधिक दाब देकर ईटों में बदल सकते हैं।
  2. हड्डी, रक्त, पंख, वसा इत्यादि को पकाकर चर्बी प्राप्त कर सकते हैं जिसका उपयोग साबुन में कर सकते हैं। 
  3. इससे प्राप्त प्रोटीन पशु आहार में काम आ सकता है।

Conclusion About Waste Management In Hindi

आशा करता हूँ कि आपको यह आर्टिकल “कचरा प्रबंधन क्या है? What Is Waste Management in Hindi” व अपशिष्ट क्या है? अपशिष्ट का वर्गीकरण व स्त्रोत क्या है?” की जानकारी पसन्द आई होगी।

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About Kavish Jain

में अपने शौक व लोगो की हेल्प करने के लिए Part Time ब्लॉग लिखने का काम करता हूँ और साथ मे अपनी पढ़ाई में Bed Student हूँ।मेरा नाम कविश जैन है और में सवाई माधोपुर (राजस्थान) के छोटे से कस्बे CKB में रहता हूँ।

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